अल्लाह का फ़ज़ल है कि उसने बंदों केलिय सुबह से लेकर बिस्तर पर आने ज़िक्र करने का हुक्म दिया है । ताकि सवाब मिले और शैतान से हिफ़ाज़त हो सके और रसूल सल्लल्लाहु अलैहे व् सल्लम की सुन्नत पर अमल हो सके ।
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अल्लाह ने सुबह और शाम में ज़िक्र करने पर उभारा है । ताकि बंदा अपने दिन की शुरुआत अल्लाह के ज़िक्र से करे और अपने दिल को ज़िक्र से ज़िंदा रखे । और ज़िक्र से शैतान की बुराइयों से महफूज़ रहे और आप सल्लल्लाहु अलैहे व् सल्लम की सुन्नत पर अमल करते हुए, अल्लाह का फ़रमान है: “अपने रब की तस्बीह बयान करें सूरज निकलने और डूबने से पहले भी ।”
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फ़जर से ही बंदा अल्लाह का ज़िक्र करना शुरू कर देता है, अल्लाह का फ़रमान है: “अपने रब की तस्बीह बयान करें सूरज निकलने से पहले भी और डूबने से पहले भी ।” ताकि बंदा अपने दिन की शुरुआत अल्लाह के ज़िक्र से करे ।
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