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ज़्यादा गर्मी होने के कारण ज़ोहर की नमाज़ को देर करके पढ़ना सुन्नत है ।
इसकी दलील:
हज़रत अबू-हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) की हदीस में है कि रसूल सल्लल्लाहु अलैहे व् सल्लम ने फ़रमाया: “जब गर्मी ज़्यादा हो तो नमाज़ को ठंडी करके पढ़ो, इसलिए कि सख्त़ गर्मी जहन्नम की भाप से है ।” (बुख़ारी: ५३३,५३४), (मुस्लिम: ६१५)
हमारे शैख़ इब्ने उसैमीन (रहेमहुल्लाह) ने कहा: “यदि ज़वाल का समय १२ बजे हो और अस्र का समय साढ़े ४ बजे होतो ज़ोहर को ज़्यादा गर्मी के कारण ४ बजे तक ठंडी करके पढ़ सकते हैं ।” (अल्-मुमतेअ २/१०४ में देखिए)
और सही बात यही है कि ज़ोहर को ठंडी करके पढ़ना सबके लिए है चाहे जमाअत से पढ़े या अकेला, हमारे शैख़ इब्ने उसैमीन (रहेमहुल्लाह) ने इसी को पसंद किया है । औरतों केलिए भी यही हुक्म है, उनके लिए भी सख्त़ गर्मी की वजह से ज़ोहर को ठंडी करके पढ़ना सुन्नत है । इसलिए हज़रत अबू-हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) की हदीस आम है ।