سبحان الله (33)، الحمد لله (33)، الله أكبر (34) م
रात में सोते समय ३३ बार ‘सुब्हानल्लाह’, ३३ बार ‘अल्हम्दु-लिल्लाह’ और ३४ बार ‘अल्लाहु-अक्बर’ कहना सुन्नत है और इस से शरीर में शक्ति (ताक़त) भी मिलती है ।
इसकी दलील: हज़रत अली (रज़ियल्लाहु अन्हु) कहते हैं कि: “हज़रत फ़ातिमा (रज़ियल्लाहु अन्हा) के हाथ में आटे की चक्की पीसने के कारण जो छाले पड़ गए थे, उसकी शिकायत की । उसके बाद आप सल्लल्लाहु अलैहे व् सल्लम के पास कुछ क़ैदी लाए गए तो वह आपके पास आईं, लेकिन उस समय आप मौजूद नहीं थे । हज़रत आएशा से उनकी मुलाक़ात होगई तो उनसे अपनी बात कही । जब नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहे व् सल्लम आए तो हज़रत आएशा ने हज़रत फ़ातिमा के आने का कारण बताया । उसके बाद नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहे व् सल्लम हमारे घर तशरीफ़ लाए और हम अपने बिस्तरों में लेट चुके थे, हम उठने लगे तो नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहे व् सल्लम ने फ़रमाया: “अपनी जगह पर रहो” आप हमारे बीच बैठ गए, मैंने अपने सीने पर आपके पैर की ठंडक महसूस किया, फिर आपने फ़रमाया: “जब तुम रात में अपने बिस्तर पर जाओ तो ३४ बार ‘अल्लाहु-अक्बर’ ३३ बार ‘सुब्हानल्लाह’, और ३३ बार ‘अल्हम्दु-लिल्लाह’ कहो, यह तुम्हारे लिए काम करने वाले और नौकर से अच्छा है ।” (बुख़ारी: ३७०५), (मुस्लिम : २७२७)
एक दूसरी हदीस में है, हज़रत अली (रज़ियल्लाहु अन्हु) कहते हैं कि मैंने जबसे आप सल्लल्लाहु अलैहे व् सल्लम से ये हदीस सुनी, मैंने ये अज़कार नहीं छोड़ा । किसी ने पूछा: सिफ्फ़ीन की रात भी नहीं? कहा: हाँ, सिफ्फ़ीन की रात भी नहीं ।” (बुख़ारी: ५३६२), (मुस्लिम: २७२७)
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