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brightness_1 फ़जर की सुन्नत नियमित सुन्नतों में से पहली सुन्नत है जिसे बंदा दिन में सबसे पहले पढ़ता है ।

फ़जर की सुन्नत नियमित सुन्नतों में से पहली सुन्नत है जिसे बंदा दिन में सबसे पहले पढ़ता है । और भी कुछ सुन्नतें हैं जिनका बयान आगे आएगा ।

सुन्नते-मोअक्कदा: १२ रकअत है जो फ़र्ज़ नमाज़ से पहले और बाद में पढ़ी जाती हैं ।

उम्मे हबीबह (रज़ियल्लाहु अन्हा) कहती हैं कि मैं ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहे व् सल्लम को ये फ़रमाते हुआ सुना: “जिसने दिन और रात में १२ रकअतें पढ़ी, तो उसके लिए जन्नत में एक घर बना दिया जाता है ।” (मुस्लिम : ७२८)

तिर्मिज़ी की हदीस में इसकी तफ़सील (ब्योरा) कुछ इस प्रकार से है: “ज़ुहर की फ़र्ज़ से पहले ४ रकअत और फ़र्ज़ के बाद २ रकअत और मग़रिब के बाद २ रकअत और ईशा के बाद २ रकअत और फ़जर में फ़र्ज़ से पहले २ रकअत । (तिर्मिज़ी ने न० ४१५ न०  में ‘हसन सही’ कहा है)

 

brightness_1 फ़जर की सुन्नत की पहली रकअत में सूरह फ़ातिहा के बाद ‘सूरह काफ़िरून’ और दूसरी रकअत में सूरह फ़ातिहा के बाद ‘सूरह इख़्लास’ पढ़ना सुन्नत है ।

फ़जर की सुन्नत की पहली रकअत में सूरह फ़ातिहा के बाद ‘सूरह काफ़िरून’ और दूसरी रकअत में सूरह फ़ातिहा के बाद ‘सूरह इख़्लास’ पढ़ना सुन्नत है । (मुस्लिम)

 या पहली रकअत में सूरह फ़ातिहा के बाद सूरह बक़रह की आयत न० १३६ ‘कूलू आमन्ना बिल्लाही......पढ़े । (सूरतुल-बक़रह : १३६)

और दूसरी रकअत में ‘सूरह आले इमरान’ की आयत न० ५२ ‘कुल या अहलल्-किताबे तआलौ .......... पढ़े । (सूरह आले इमरान:५२) और यह हदीस सही मुस्लिम में हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) से मौजूद है ।

इसलिए दोनों पर अमल करना चाहिए, कभी इसको पढ़े और कभी उसको पढ़े ।